Zero Budget Natural Farming Method ZBNF किसान जीरो बजट खेती कैसे करें

Zero Budget Farming Method 2024 (जीरो बजट खेती) ZBNF Farming Scheme

मोदी सरकार ने अपना आम बजट पेश किया। इस बजट में उन्होंने कई नयी योजनाओं का शुभारभ किया। वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने किसानों की समस्या को दूर करने के लिए एक एलान किया जिसे जीरो बजट कृषि खा गया है। मोदी सरकार जीरो बजट कृषि को बढ़ावा देने केलिए कई सुविधाएँ और सहायता मुहैया कराएगी और इससे किसानों को क्या लाभ मिलेगा। अब तक देश भर में 40 लाख से ज्यादा किसान इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे है।

क्या है जीरो बजट खेती:-

हमारे देश में कई किसानों ने जीरो बजट फार्मिंग से खेती करने शुरू कर दिया है। जीरो बजट फार्मिंग का मतलब है कि किसान जो भी फसल उगाये उसमे कोई भी कीटनाशक का उपयोग न हो। एक तरह से वो प्राकृतिक खेती करें। इसके तहत किसान केवल अपने द्वारा बनाई हुई खाद और अन्य चीज़ों का प्रयोग करते है। इसमें किसी भी प्रकार के रासायनिक का इस्तेमाल नहीं होता है। इस तरह की खेती से उगाई गयी सब्जियां इत्यादि बहुत ही हेल्दी होती है क्योंकि इसमें रसायन प्रयोग नहीं होता है।

Zero Budget Natural Farming in India

Zero Budget Natural Farming (ZBNF) is a set of farming methods, and also a grassroots peasant movement, which has spread to various states in India. It has attained wide success in southern India, especially the southern Indian state of Karnataka where it first evolved.  The movement in Karnataka state was born out of collaboration between Mr Subhash Palekar, who put together the ZBNF practices, and the state farmers association Karnataka Rajya Raitha Sangha (KRRS), a member of La Via Campesina (LVC).

The neoliberalization of the Indian economy led to a deep agrarian crisis that is making small scale farming an unviable vocation. Privatized seeds, inputs, and markets are inaccessible and expensive for peasants. Indian farmers increasingly find themselves in a vicious cycle of debt, because of the high production costs, high interest rates for credit, the volatile market prices of crops, the rising costs of fossil fuel based inputs, and private seeds. Debt is a problem for farmers of all sizes in India. Under such conditions, ‘zero budget’ farming promises to end a reliance on loans and drastically cut production costs, ending the debt cycle for desperate farmers. The word ‘budget’ refers to credit and expenses, thus the phrase ‘Zero Budget’ means without using any credit, and without spending any money on purchased inputs. ‘Natural farming’ means farming with Nature and without chemicals.

क्यों रखा गया इसका नाम जीरो बजट फार्मिंग

इस तकनीक से खेती करने के लिए किसानों को किसी भी प्रकार के रसायन की जरूरत नहीं होती है। वो अपने द्वारा बनाई गयी खाद और अन्य सामग्री से ही खेती कर सकते है। इस प्रकार इसमें न के बराबर खर्चा आता है इसलिए इसे जीरो बजट फार्मिंग का नाम दिया गया है। जबकि किसानों द्वारा बनाई गयी खाद में थोड़ा खर्चा जरूर आता है।

zero budget farming method 2024

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जीरो बजट फार्मिंग का उद्देश्य

जीरो बजट फार्मिंग के द्वारा सरकार किसानो कृषि में होने वाले खर्चे सेबचना चाहती है। रसायन द्वारा की गयी खेती में किसानों को बाजार प्रकार के उर्वरक और कीटनाशक लेन पड़ते है जिसे लाने के लिए पैसे न होने पर किसानों को बैंक से कर्ज लेना पड़ता था। अब इस तकनीक से किसानों को कर्ज नहीं लेना पड़ेगा जिससे न केवल किसान कर्जमुक्त होंगे बल्कि आत्मनिर्भर भी बनेगे। इस तकनीक में किसान अपनी बनाई हुई चीज़ों का इस्तेमाल करते है जिससे खेती में कम लागत भी आती है।

खेती के लिए भी फायदेमंद

विभिन्न प्रकार के उर्वरक और कीटनाशकों का इस्तेमाल खेती करने के दौरान इसलिए किया जाता है क्योकि फसल में कोई भी कीड़ा न लगे और फसल अच्छे से हो जाये। जबकि कीटनाशकों का प्रयोग जब भी किया जाता है तो इससे जमीन का उपजाऊपन धीरे धीरे ख़त्म होता चला जाता है। इससे आगे होने वाली फसल तक प्रकार से नहीं हो पाती है। लेकिन जीरो बजट फार्मिंग से प्राकृतिक चीज़ों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे होने वाली फसल भी अच्छी होती है और जमीन पर कोई बुरा प्रभाव भी नहीं पड़ता है।

मुनाफा भी ज्यादा

जीरो बजट फार्मिंग में अपने दवरा बनाई खाद का उपयोग किया जाता है इससे किसानों को फसल उगाने में कम खर्चा आता है। इस प्रकार कम लगत आने पर किसानों का मुनाफा भी ज्यादा हो जाता है और पैदावार भी अच्छी होती है।

कैसे हुई शुरुआत

भारत में इसकी खेती सबसे पहले कर्नाटक राज्य में हुई थी धीरे धीरे ये तकनीक भारत के अन्य राज्यों में प्रसिद्ध होती जा रही है। इस खेती की शुरुआत कर्नाटक में श्री सुभाष पालेकर जी ने स्टेट फार्मर्स असोसिअशन कर्णाटक राज्य रैथा संघ (KRRS) और मेंबर ऑफ़ ला वाया कम्पेसिना के साथ मिलकर की। इस समय कर्नाटक में एक लाख किसानों ने इस तकनीक को अपना लिया है।

जीरो बजट फार्मिंग के स्टेप्स (Zero Budget Farming Method)

जीरो बजट फार्मिंग चार स्टेप्स से की जाती है जो कि निम्न प्रकार है :-

जीवामृत :- जीवामृत या जीवनमूर्ति की मदद से जमीन को पोषक तत्व मिलते है और ये एक उत्प्रेरक एजेंट के तौर पर कार्य करते है जिससे फसलों की पैदावार बढ़ जाती है। इससे पेड़ों और पौधों को किसी भी प्रकार का रोग होने से बचाया जा सकता है।

जीवामृत बनाने की विधि :- एक बैरल में 200 लीटर पानी डाले और उसमे 10 किलो ताजा गाय का गोबर, 5 से 10 लीटर वृद्ध गाय का मूत्र, 2 किलो पल्स का आटा, 2 किलो ब्राउन शुगर और मिटटी को मिला दे। ये सब मिलाने के बाद इस मिश्रण को 48 घंटों के लिए चाय में रख दे। उसके बाद ये मिश्रण इस्तेमाल करने के लिए तैयार है।

कैसे इस्तेमाल करें :- एक एकड़ जमीन के लिए आपको 200 लीटर जीवामृत मिश्रण की जरूरत पड़ेगी और किसानों को अपनी फसल पर महीने में दो बार इसका छिड़काव करना होगा। किसान चाहे तो सिंचाई के पानी में इस मिश्रण को मिलाकर भी छिड़काव कर सकते है।

बीजामृत :- इसका प्रयोग नए पौधे के रोपण में भी किया जाता है इसकी मदद से पौधों को सभी प्रकार के रोगों से भी बचाया जा सकता है। बीजामृत को बनाने के लिए गाय का गोबर , प्राकृतिक कवकनाशक, गायमूत्र, एंटी बैक्टीरिया तरल नीबू और मिटटी का प्रयोग किया जाता है।

कैसे इस्तेमाल किया जाये :- 

किसी भी फसल के बीजों को बोन से पहले उन बीजों में आप बीजामृत अच्छे से लगा दे और ये लगाने के बाद बीजों को सूखने के लिए छोड़ दे। इन बीजों पर लगा मिश्रण सूखने के बाद आप इन्हे जमीन में बो सकते है।

आच्छादन – मल्चिंग (Acchadana Mulching) :- 

मिटटी की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए बनाये रखने के लिए मल्चिंग का प्रयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में मिटटी की सतह पर कई प्रकार के मटेरियल लगाए जाते है।

किन राज्यों ने अपनाया इस खेती को :-

भारत का आंध्र प्रदेश राज्य पहले ऐसा राज्य है जिसने जीरो बजट फार्मिंग को पूरी तरह से अपना लिया है। इस समय आंध्र प्रदेश के 5 लाख किसान इस तकनीक का प्रयोग कर रहे है। इसी प्रकार हरियाणा सरकार ने भी अपने राज्य में जीरो बजट फार्मिंग को लागु करने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की है।

जीरो बजट फार्मिंग शुरू होने से हमारे देश में केमिकल्स का प्रयोग कम होने लगा है। कई राज्य जीरो बजट फार्मिंग को अपने यहां बढ़ावा देने में लगे हुए है जिससे उनके राज्य के किसान भी प्राकर्तिक खेती के लिए प्रोत्साहित हो सकें।

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